The Definitive Guide to sidh kunjika
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नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
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गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे click here ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।